प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
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प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
परिचय:
इतिहास का अर्थ केवल अतीत की घटनाओं का वर्णन नहीं, बल्कि उन घटनाओं का वैज्ञानिक पुनर्निर्माण भी है।
इन घटनाओं से संबंधित साक्ष्य, वस्तुएँ, अभिलेख और साहित्य जिनके आधार पर अतीत की जानकारी प्राप्त होती है, उन्हें इतिहास के स्रोत कहा जाता है।
भारत का इतिहास अत्यंत प्राचीन एवं समृद्ध रहा है, और यद्यपि प्रारंभिक काल में लिखित इतिहास कम मिलता है, परंतु पुरातात्विक, साहित्यिक और विदेशी यात्रियों के विवरण भारतीय सभ्यता के गौरवशाली अतीत को प्रमाणित करते हैं।
इतिहास के स्रोतों का प्रमुख वर्गीकरण:
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पुरातात्विक स्रोत
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साहित्यिक स्रोत
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विदेशी यात्रियों के विवरण
1. पुरातात्विक स्रोत:
पुरातत्व विज्ञान के अंतर्गत प्राप्त वस्तुएँ, अभिलेख, मूर्तियाँ, सिक्के, स्मारक आदि हमारे अतीत का सबसे प्रामाणिक प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
(A) अभिलेख:
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अभिलेखों को ‘इतिहास की रीढ़’ कहा गया है।
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ये पाषाण, ताम्रपत्र, स्तंभ, प्रतिमा, दीवार या गुफा पर उत्कीर्ण मिलते हैं।
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भारत के सबसे प्राचीन अभिलेख – अशोक के शिलालेख (3री शताब्दी ईसा पूर्व)।
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विदेश में सबसे प्राचीन अभिलेख – बोगजकोई (1400 ईसा पूर्व)।
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प्रमुख लिपियाँ – ब्राह्मी, खरोष्ठी, यूनानी और आरमेइक।
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ब्राह्मी लिपि को पढ़ने का श्रेय – जेम्स प्रिंसेप (1837 ई.) को है।
महत्वपूर्ण अभिलेख:
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हाथीगुम्फा अभिलेख – खारवेल (कलिंग)
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जूनागढ़ अभिलेख – रुद्रदामन (शक शासक)
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प्रयाग स्तंभ लेख – समुद्रगुप्त
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ऐहोल लेख – पुलकेशिन द्वितीय
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वाराह प्रतिमा लेख – तोरमाण
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बेसनगर स्तंभ लेख – हेलियोडोरस (ग्रीक राजदूत)
(B) सिक्के:
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सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र (Numismatics) कहते हैं।
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धातुएँ: तांबा, चांदी, सोना, सीसा।
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सबसे प्राचीन सिक्के – पंच-मार्क (आहत) सिक्के (5वीं शताब्दी ई.पू.)।
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स्वर्ण सिक्कों का आरंभ – इंडो-ग्रीक शासकों द्वारा।
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गुप्तकाल में स्वर्ण मुद्राओं का उत्कर्ष हुआ (विशेषकर चंद्रगुप्त द्वितीय के समय)।
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सिक्कों से राजाओं के नाम, धर्म, आर्थिक स्थिति, व्यापार आदि का ज्ञान होता है।
(C) मूर्तियाँ:
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मूर्तिकला का उत्कर्ष कुषाण काल में हुआ।
मथुरा शैली – स्वदेशी, प्रतीकात्मक और भारतीय सौंदर्य दृष्टि।
गान्धार शैली – यूनानी प्रभाव, यथार्थवादी रूप।
(D) स्मारक एवं स्थापत्य:
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स्थापत्य शैलियाँ – नागर शैली (उत्तरी भारत), द्रविड़ शैली (दक्षिण भारत), बेसर शैली (मिश्रित रूप)
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स्तूप – बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थापत्य प्रतीक (उदा: साँची स्तूप, भरहुत)।
(E) चित्रकला:
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अजंता गुफाएँ (महाराष्ट्र) गुप्त कालीन चित्रकला का श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
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ये चित्र बौद्ध जातक कथाओं और दैनिक जीवन की झलक दिखाते हैं।
(F) अन्य अवशेष:
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हड़प्पा की मुहरें – धर्म, व्यापार, अर्थव्यवस्था के प्रमाण।
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बसाढ़ की मुहरें – व्यापारिक समुदाय का परिचय देती हैं।
2. साहित्यिक स्रोत:
साहित्यिक साक्ष्य भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित रखते हैं।
इन्हें दो भागों में बाँटा गया है -
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धार्मिक साहित्य
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लौकिक (धर्मेतर) साहित्य
1. धार्मिक साहित्य:
(A) वैदिक साहित्य:
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चार वेद: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
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उपनिषद: दार्शनिक ग्रंथ; आत्मा-परमात्मा संबंध की व्याख्या।
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ब्राह्मण ग्रंथ: यज्ञ संबंधी नियम – ऐतरेय, शतपथ।
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आरण्यक: वन में अध्ययन हेतु दार्शनिक ग्रंथ।
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वेदांग: उच्चारण, व्याकरण, छंद आदि के सहायक ग्रंथ।
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स्मृति ग्रंथ: मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति।
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उपवेद: आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद, शिल्पवेद।
(B) महाकाव्य और पुराण:
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महाकाव्य: रामायण (वाल्मीकि), महाभारत (व्यास)।
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पुराण: 18 प्रमुख पुराण; मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन पुराण है।
वायु पुराण गुप्त वंश से सम्बन्धित है।
विष्णु पुराण मौर्य वंश से सम्बन्धित है।
(C) बौद्ध साहित्य:
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त्रिपिटक: विनय पिटक, सुत्त पिटक, अभिधम्म पिटक।
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जातक कथाएँ: बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियाँ।
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दीपवंश, महावंश (श्रीलंका से प्राप्त)।
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मिलिंदपन्हो: मेनांडर (मिलिंद) और नागसेन का संवाद।
(D) जैन साहित्य:
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आगम (12 अंग) – जैन धर्म के मूल ग्रंथ।
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कल्पसूत्र (भद्रबाहु) – महावीर के जीवन पर।
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भगवती सूत्र – जैन दर्शन और जीवन का विवरण।
2. लौकिक साहित्य:
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अर्थशास्त्र – कौटिल्य द्वारा; राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्रशासन पर।
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राजतरंगिणी – कल्हण द्वारा; कश्मीर का ऐतिहासिक विवरण।
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हर्षचरित – बाणभट्ट द्वारा; हर्षवर्धन का जीवन।
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अभिज्ञानशाकुंतलम् – कालिदास की प्रसिद्ध रचना।
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विक्रमांकदेवचरित – विल्हण द्वारा।
3. विदेशी यात्रियों के विवरण:
विदेशी यात्रियों के वृत्तांत भारतीय इतिहास के अप्रत्यक्ष किन्तु अमूल्य साक्ष्य हैं।
(A) यूनानी यात्री:
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हेरोडोटस – भारत-फारस संबंधों का उल्लेख।
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मेगस्थनीज – ‘इंडिका’; चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल का विवरण।
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डायोनिसियस – अशोक कालीन संस्कृति और समाज का वर्णन।
(B) चीनी यात्री:
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फाहियान – गुप्त काल; समाज और बौद्ध मठों का विवरण।
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ह्वेनसांग – हर्षवर्धन काल; प्रशासन और शिक्षा प्रणाली का अध्ययन।
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इत्सिंग – नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन का उल्लेख।
महत्वपूर्ण तथ्य:
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भारत में इतिहास लेखन का वैज्ञानिक रूप मौर्य काल से मिलता है।
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“इतिहास” शब्द संस्कृत के “इतिवृत्त” से व्युत्पन्न है।
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जेम्स प्रिंसेप द्वारा ब्राह्मी लिपि का पाठ 1837 ई. में किया गया।
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राजतरंगिणी को भारत का प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ माना जाता है।
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अशोक के शिलालेख बौद्ध धर्म के प्रसार के साक्ष्य हैं।
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मेगस्थनीज का इंडिका भारत की सामाजिक-राजनीतिक संरचना का महत्वपूर्ण स्रोत है।
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